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यूजीसी को 25 से पहले दोबारा घोषित करना होगा नेट का रिजल्ट
Posted On January - 18 - 2013
जोगिंद्र सिंह/ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 18 जनवरी। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) द्वारा 24 जून 2012 को ली गयी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) का परिणाम दोबारा घोषित किया जायेगा। गणतंत्र दिवस से पहले हजारों परीक्षार्थियों को पास होने की खुशखबरी मिल सकती है। इस संबंध में सैंकड़ों अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन्हीं याचिकाओं का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेट का रिजल्ट घोषित करने से एक दिन पहले कट आफ प्रतिशत एकदम 15 फीसदी बढ़ाने को अवैध करार देते हुए यूजीसी को पुराने कट आफ के आधार पर फिर से रिजल्ट घोषित करे। इस आदेश का पालन करने के लिये यूजीसी को 25 जनवरी से पहले संशोधित परीक्षा परिणाम घोषित करना होगा।
याद रहे जून 2012 में पहली बार आब्जेक्टिव टाइप फार्मेट में हुई परीक्षा के परिणाम में भारी अनियमितताएं बरती गयी थीं। इस बार रिकार्ड संख्या में अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा दी थी मगर उन्हें तब मायूसी हाथ लगी जब आयोग द्वारा पहले से घोषित कट आफ के मुताबिक पास होने के बावजूद यूजीसी के आधिकारिक वेबसाइट पर डाली गयी सूची में उनका नाम नहीं था। सबसे पहले दैनिक ट्रिब्यून द्वारा यह मामला उठाया गया जिस पर यूजीसी ने संज्ञान लेते हुए दोबारा संशोधित परिणाम घोषित किया।
उल्लेखनीय है कि पंजाब विश्वविद्यालय परीक्षा केंद्र से 20 हजार से भी अधिक छात्रों ने परीक्षा दी थी। आंसर की और पुराने क्राइटेरिया के मुताबिक काफी छात्र/छात्राओं को पास होने की उम्मीद थी मगर सूची में अपना नाम न पाकर उनमें मायूसी छा गयी। एजुकेशन विषय में नेट परीक्षा देने वाली मीनाक्षी धीमान ने यूजीसी द्वारा पहले डाली गयी आंसर की को अपनी ओएमआर शीट से मिलाया जिसके मुताबिक वह पास थी। 18 सितंबर को आयोग द्वारा जारी किये नतीजों में मीनाक्षी को फेल कर दिया। मजे की बात यह है कि मीनाक्षी ओबीसी कैटेगरी से थी और उसे यूजीसी द्वारा नेट का रिजल्ट घोषित किये जाने के बाद दिये गये क्वालीफाइंग क्राइटेरिया के अनुसार भी पास थी। मीनाक्षी का रोल नंबर 48091297 है और उसके पहले पेपर में 64 अंक आये जो कि क्वालीफाइंग से अधिक से हैं। दूसरे और तीसरे में भी क्रमश: 60 और 86 अंक आये। ओबीसी के लिये कुलांक 60 प्रतिशत यानी 210 अंक की शर्त रखी गयी है जिसे मीनाक्षी पूरा करती थी मगर फिर भी उसे फेल कर दिया गया है। अखबारों में समाचार छपने और शिकायतों के बाद यूजीसी ने एक और संशोधित सूची निकाली जिसमें मीनाक्षी को पास दर्शाया गया। मगर मीनाक्षी अकेली नहीं थी जिसे यूजीसी की इस कारगुजारी से झटका लगा था। नेहा शर्मा के तीनों पेपरों में कुल 60 प्रतिशत अंक हैं जबकि नेहा मिश्रा, हिना मिश्रा, गुरलीन कौर जतिदंरबीर सिंह, उषा देवी आदि अनेक अभ्यर्थी हैं जो पहले डाली गयी आंसर की के मुताबिक तो पास थे और यूजीसी द्वारा लेक्चररशिप के लिये दिये गये क्राइटेरिया पर खरे उतरते थे। यह क्राइटेरिया कुछ इस प्रकार से था कि पहले पेपर में 40 फीसदी, दूसरे में भी 40 फीसदी और 50 फीसदी अंक तीसरे पेपर में पास होने के लिये चाहिए थे। आयोग ने रिजल्ट घोषित करने से पहले पलटी मारी और लेक्चररशिप की योग्यता पाने के लिये कैटेगरीवाइज क्वालीफाइंग क्राइटेरिया थोंप दिया। आयोग ने केवल सामान्य वर्ग के लिये पास प्रतिशतता बढ़ाकर 65 कर दी, ओबीसी के लिये 60 प्रतिशत कर दी और एससी/एसटी के लिये 55 फीसदी कर दी। हजारों अभ्यर्थियों में इस बात को लेकर रोष था कि नेट के लिये पहले तय क्राइटेरिया को बदलने या सख्त करने की क्या जरुरत आन पड़ी। इसी को कोर्ट ने गंभीरता से लिया और कहा कि यूजीसी ने अपनी शक्तियों का प्रयोग प्रोपर,फेयर और रीजनेबल तरीके से नहीं किया। लिहाजा रिजल्ट आउट करने के ठीक पहले अंक बढ़ाना न्यायोचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जो अभ्यर्थी पहले दिये गये क्राइटेरिया को पार करते हैं उन्हें पास घोषित किया जाये। इसमें केवल वे ही परीक्षार्थी आयेंगे जिन्होंने जून की परीक्षा दी थी।
याद रहे पहले दिसंबर 2011 में पुराने ढर्रे पर आयोजित परीक्षा में जनरल कैटेगरी के छात्रों को पहले और दूसरे पेपर में 40-40 प्रतिशत अलग-अलग और दोनों में मिलाकर 50 फीसदी लेने होते थे जो कि ओबीसी और एससी/एसटी के लिये पहले दो पेपरों में 35-35 फीसदी थे। तीसरे पेपर में जनरल कैटेगरी के लिये 45 फीसदी पास मार्क होते थे जिसे अब बढ़ाकर 50 किया गया था। रिजर्व कैटेगरी के लिये यह क्रमश: 40 और 35 प्रतिशत होता था। मजे की बात यह है कि तीसरा पेपर भी आब्जेक्टिव टाइप हो जाने के बाद कुलांक की शर्त पहले दो पेपरों से हटाकर अब तीनों के लिये लागू कर दी गयी है। आब्जेक्टिव टाइप पेपर होने पर पहली बार आये परिणाम में जेआरएफ को लगभग उतना ही रखते हुए 3625 को उत्तीर्ण किया गया जबकि नेट के लिये 40332 को पास घोषित किया गया जो पिछली बार के मुकाबले लगभग चार गुना अधिक हैं। बाद में सप्लीमेंटरी रिजल्ट में 13493 लेक्चररशिप पात्रता में और 1685 जेआरएफ में पास घोषित कर दिये गये। जून में आयोजित नेट परीक्षा पहली बार आब्जेक्टिव टाइप फार्मेट में हुई थी। इस बार परीक्षा का तीसरा पेपर भी आब्जेक्टिव टाइप होने से भारी संख्या में छात्रों ने यह परीक्षा पास की है। नेट की परीक्षा में बैठने वाले 5,71,627 उम्मीदवारों में से सप्लीमेंटरी रिजल्ट के बाद जेआरएफ/नेट पास करने वालों की संख्या 62,760 हो गयी।
चंडीगढ़, 18 जनवरी। यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) द्वारा 24 जून 2012 को ली गयी नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) का परिणाम दोबारा घोषित किया जायेगा। गणतंत्र दिवस से पहले हजारों परीक्षार्थियों को पास होने की खुशखबरी मिल सकती है। इस संबंध में सैंकड़ों अभ्यर्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन्हीं याचिकाओं का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नेट का रिजल्ट घोषित करने से एक दिन पहले कट आफ प्रतिशत एकदम 15 फीसदी बढ़ाने को अवैध करार देते हुए यूजीसी को पुराने कट आफ के आधार पर फिर से रिजल्ट घोषित करे। इस आदेश का पालन करने के लिये यूजीसी को 25 जनवरी से पहले संशोधित परीक्षा परिणाम घोषित करना होगा।
याद रहे जून 2012 में पहली बार आब्जेक्टिव टाइप फार्मेट में हुई परीक्षा के परिणाम में भारी अनियमितताएं बरती गयी थीं। इस बार रिकार्ड संख्या में अभ्यर्थियों ने यह परीक्षा दी थी मगर उन्हें तब मायूसी हाथ लगी जब आयोग द्वारा पहले से घोषित कट आफ के मुताबिक पास होने के बावजूद यूजीसी के आधिकारिक वेबसाइट पर डाली गयी सूची में उनका नाम नहीं था। सबसे पहले दैनिक ट्रिब्यून द्वारा यह मामला उठाया गया जिस पर यूजीसी ने संज्ञान लेते हुए दोबारा संशोधित परिणाम घोषित किया।
उल्लेखनीय है कि पंजाब विश्वविद्यालय परीक्षा केंद्र से 20 हजार से भी अधिक छात्रों ने परीक्षा दी थी। आंसर की और पुराने क्राइटेरिया के मुताबिक काफी छात्र/छात्राओं को पास होने की उम्मीद थी मगर सूची में अपना नाम न पाकर उनमें मायूसी छा गयी। एजुकेशन विषय में नेट परीक्षा देने वाली मीनाक्षी धीमान ने यूजीसी द्वारा पहले डाली गयी आंसर की को अपनी ओएमआर शीट से मिलाया जिसके मुताबिक वह पास थी। 18 सितंबर को आयोग द्वारा जारी किये नतीजों में मीनाक्षी को फेल कर दिया। मजे की बात यह है कि मीनाक्षी ओबीसी कैटेगरी से थी और उसे यूजीसी द्वारा नेट का रिजल्ट घोषित किये जाने के बाद दिये गये क्वालीफाइंग क्राइटेरिया के अनुसार भी पास थी। मीनाक्षी का रोल नंबर 48091297 है और उसके पहले पेपर में 64 अंक आये जो कि क्वालीफाइंग से अधिक से हैं। दूसरे और तीसरे में भी क्रमश: 60 और 86 अंक आये। ओबीसी के लिये कुलांक 60 प्रतिशत यानी 210 अंक की शर्त रखी गयी है जिसे मीनाक्षी पूरा करती थी मगर फिर भी उसे फेल कर दिया गया है। अखबारों में समाचार छपने और शिकायतों के बाद यूजीसी ने एक और संशोधित सूची निकाली जिसमें मीनाक्षी को पास दर्शाया गया। मगर मीनाक्षी अकेली नहीं थी जिसे यूजीसी की इस कारगुजारी से झटका लगा था। नेहा शर्मा के तीनों पेपरों में कुल 60 प्रतिशत अंक हैं जबकि नेहा मिश्रा, हिना मिश्रा, गुरलीन कौर जतिदंरबीर सिंह, उषा देवी आदि अनेक अभ्यर्थी हैं जो पहले डाली गयी आंसर की के मुताबिक तो पास थे और यूजीसी द्वारा लेक्चररशिप के लिये दिये गये क्राइटेरिया पर खरे उतरते थे। यह क्राइटेरिया कुछ इस प्रकार से था कि पहले पेपर में 40 फीसदी, दूसरे में भी 40 फीसदी और 50 फीसदी अंक तीसरे पेपर में पास होने के लिये चाहिए थे। आयोग ने रिजल्ट घोषित करने से पहले पलटी मारी और लेक्चररशिप की योग्यता पाने के लिये कैटेगरीवाइज क्वालीफाइंग क्राइटेरिया थोंप दिया। आयोग ने केवल सामान्य वर्ग के लिये पास प्रतिशतता बढ़ाकर 65 कर दी, ओबीसी के लिये 60 प्रतिशत कर दी और एससी/एसटी के लिये 55 फीसदी कर दी। हजारों अभ्यर्थियों में इस बात को लेकर रोष था कि नेट के लिये पहले तय क्राइटेरिया को बदलने या सख्त करने की क्या जरुरत आन पड़ी। इसी को कोर्ट ने गंभीरता से लिया और कहा कि यूजीसी ने अपनी शक्तियों का प्रयोग प्रोपर,फेयर और रीजनेबल तरीके से नहीं किया। लिहाजा रिजल्ट आउट करने के ठीक पहले अंक बढ़ाना न्यायोचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि जो अभ्यर्थी पहले दिये गये क्राइटेरिया को पार करते हैं उन्हें पास घोषित किया जाये। इसमें केवल वे ही परीक्षार्थी आयेंगे जिन्होंने जून की परीक्षा दी थी।
याद रहे पहले दिसंबर 2011 में पुराने ढर्रे पर आयोजित परीक्षा में जनरल कैटेगरी के छात्रों को पहले और दूसरे पेपर में 40-40 प्रतिशत अलग-अलग और दोनों में मिलाकर 50 फीसदी लेने होते थे जो कि ओबीसी और एससी/एसटी के लिये पहले दो पेपरों में 35-35 फीसदी थे। तीसरे पेपर में जनरल कैटेगरी के लिये 45 फीसदी पास मार्क होते थे जिसे अब बढ़ाकर 50 किया गया था। रिजर्व कैटेगरी के लिये यह क्रमश: 40 और 35 प्रतिशत होता था। मजे की बात यह है कि तीसरा पेपर भी आब्जेक्टिव टाइप हो जाने के बाद कुलांक की शर्त पहले दो पेपरों से हटाकर अब तीनों के लिये लागू कर दी गयी है। आब्जेक्टिव टाइप पेपर होने पर पहली बार आये परिणाम में जेआरएफ को लगभग उतना ही रखते हुए 3625 को उत्तीर्ण किया गया जबकि नेट के लिये 40332 को पास घोषित किया गया जो पिछली बार के मुकाबले लगभग चार गुना अधिक हैं। बाद में सप्लीमेंटरी रिजल्ट में 13493 लेक्चररशिप पात्रता में और 1685 जेआरएफ में पास घोषित कर दिये गये। जून में आयोजित नेट परीक्षा पहली बार आब्जेक्टिव टाइप फार्मेट में हुई थी। इस बार परीक्षा का तीसरा पेपर भी आब्जेक्टिव टाइप होने से भारी संख्या में छात्रों ने यह परीक्षा पास की है। नेट की परीक्षा में बैठने वाले 5,71,627 उम्मीदवारों में से सप्लीमेंटरी रिजल्ट के बाद जेआरएफ/नेट पास करने वालों की संख्या 62,760 हो गयी।
dear friends can anybody translate this in english, as i cant read hindi.
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